हर इंसान के अंदर अपनी गलतियों को स्वीकारने और उन्हें सुधारने की पर्याप्त विनम्रता होती है.
By : महात्मा गाँधी
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har insaan ke andar apni galtiyo ko sweekarne aur unkosudharne ki paryapt vinamrata hoti hai. | हर इंसान के अंदर अपनी गलतियों को स्वीकारने और उन्हें सुधारने की पर्याप्त विनम्रता होती है.
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- आप आज जो करते हैं उस पर भविष्य निर्भर करता है।
- आप मानवता में विश्वास मत खोइए, मानवता सागर की तरह है। अगर सागर की कुछ बूँदें गन्दी हैं, तो सागर गन्दा नहीं हो जाता।
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- आपके शब्द आपके कार्य बन जाते हैं, आपके कार्य आपकी आदत बन जाते हैं
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