धन से आज तक किसी को खुशी नहीं मिली और न ही मिलेगी, जितना अधिक व्यक्ति के पास धन होता है, वह उससे कहीं अधिक चाहता है। धन रिक्त स्थान को भरने के बजाय शून्यता को पैदा करता है।

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धन से आज तक किसी को खुशी नहीं मिली और न ही मिलेगी, जितना अधिक व्यक्ति के पास धन होता है, वह उससे कहीं अधिक चाहता है। धन रिक्त स्थान को भरने के बजाय शून्यता को पैदा करता है। : Dhan se aaj tak kisi ko khushi nahi mili aur na milegi,jitna dhan vyakti ke paas hoga wah usse kahin adhik paane ki ichha rakhta hai, dhan rikt bharne ke bajaay shoonyata paida karta hai. - बेंजामिन फ्रैंकलिन
धन से आज तक किसी को खुशी नहीं मिली और न ही मिलेगी, जितना अधिक व्यक्ति के पास धन होता है, वह उससे कहीं अधिक चाहता है। धन रिक्त स्थान को भरने के बजाय शून्यता को पैदा करता है। : Dhan se aaj tak kisi ko khushi nahi mili aur na milegi,jitna dhan vyakti ke paas hoga wah usse kahin adhik paane ki ichha rakhta hai, dhan rikt bharne ke bajaay shoonyata paida karta hai. - बेंजामिन फ्रैंकलिन

dhan se aaj tak kisi ko khushi nahi mili aur na milegi,jitna dhan vyakti ke paas hoga wah usse kahin adhik paane ki ichha rakhta hai, dhan rikt bharne ke bajaay shoonyata paida karta hai. | धन से आज तक किसी को खुशी नहीं मिली और न ही मिलेगी, जितना अधिक व्यक्ति के पास धन होता है, वह उससे कहीं अधिक चाहता है। धन रिक्त स्थान को भरने के बजाय शून्यता को पैदा करता है।

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