ग़रीबों के समान विनम्र अमीर और अमीरों के समान उदार ग़रीब ईश्वर के प्रिय पात्र होते हैं - gareebo ke samaan vinamra aur ameero ke samaan udaar gareeb ishwar ke priya paatra hote hain.. : शेख सादी शिराज़ी
लोभी को पूरा संसार मिल जाए तो भी वह, भूखा रहता है, लेकिन संतोषी का पेट, एक रोटी से ही भर जाता है - lobhi ko poora sansaar mil jaaye vah bhookh rahta hai, lekin santoshi ka pet ek roti se hi bhar jata hai. : शेख सादी शिराज़ी
वह आदमी वास्तव में बुद्धिमान है जो क्रोध में भी गलत बात मुंह से नहीं निकालता - vah aadmi vastav mein buddhiman hai jo krodh mein bhi galat baat muh se nahi nikalata hai. : शेख सादी शिराज़ी
वाणी मधुर हो तो सब कुछ वश में हो जाता है, अन्यथा सब शत्रु बन जाते हैं - vaani madhur ho tosb kuchh vash me aa jata hai, anyatha sab shatru ban jaate hain. : शेख सादी शिराज़ी
इंसान अगर लोभ को ठुकरा दे तो बादशाह से भी ऊंचा दर्जा हासिल कर सकता है, क्योंकि संतोष ही इंसान का माथा हमेशा ऊंचा रख सकता है - agar insaan lobh ko thukra de to badhshah se bhi uncha darja haasil kar sakta hai, kyonki santosh hi insaan ka matha hamesha unchaa rakh sakta hai. : शेख सादी शिराज़ी
अज्ञानी आदमी के लिये खामोशी से बढ़कर कोई चीज नहीं, और अगर उसमें यह समझने की बुद्धि है तो वह अज्ञानी नहीं रहेगा - agyaani aadmi ke liye khamoshi se badhkar koi aur cheez nahi hai aur agar usme yah samjhne ki buddhi hai to vah agyaani nahi rahega. : शेख सादी शिराज़ी
खुदा एक दरवाजा बन्द करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो - khuda ek darwaja band karta haito doosra khol deta hai. : शेख सादी शिराज़ी
बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका मुंह बन्द करना ही अच्छा है - bure aadmi ke sath bhi bhalai karni chahiye -kutte ko roti ka ek tukda daalkar uska muh band larna hi achcha. : शेख सादी शिराज़ी
जो नसीहतें नहीं सुनता, उसे लानत-मलामत सुनने का सुख होता है - jo naseehatein nahi sunta use laanat-malamat sunne ka sukh hota hai. : शेख सादी शिराज़ी