अंहकार, दरअसल वास्तविकता में आप नहीं है। अंहकार की आपकी अपनी छवि है। ये आपका सामाजिक मुखौटा है। ये वो पात्र है जो आप खेल रहे हैं। आपका सामाजिक मुखौटा प्रसंशा पर जीता है। वो नियंत्रण चाहता है, सत्ता के दम पर पनपता है क्योंकि वो भय में जीता है।

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अंहकार, दरअसल वास्तविकता में आप नहीं है। अंहकार की आपकी अपनी छवि है। ये आपका सामाजिक मुखौटा है। ये वो पात्र है जो आप खेल रहे हैं। आपका सामाजिक मुखौटा प्रसंशा पर जीता है। वो नियंत्रण चाहता है, सत्ता के दम पर पनपता है क्योंकि वो भय में जीता है। : Ahankar darasal vastavikta me aap nahi. ahankar aapki chhavi hai. yah samajik mukhota hai , yah vo patra hai jo aap khel rahe hain. yah mukhota prasansha par jeeta hai ,niyantran chahta hai, satta ke dum par panpata hai kyonki vah bhay me jeeta hai. - दीपक चोपड़ा
अंहकार, दरअसल वास्तविकता में आप नहीं है। अंहकार की आपकी अपनी छवि है। ये आपका सामाजिक मुखौटा है। ये वो पात्र है जो आप खेल रहे हैं। आपका सामाजिक मुखौटा प्रसंशा पर जीता है। वो नियंत्रण चाहता है, सत्ता के दम पर पनपता है क्योंकि वो भय में जीता है। : Ahankar darasal vastavikta me aap nahi. ahankar aapki chhavi hai. yah samajik mukhota hai , yah vo patra hai jo aap khel rahe hain. yah mukhota prasansha par jeeta hai ,niyantran chahta hai, satta ke dum par panpata hai kyonki vah bhay me jeeta hai. - दीपक चोपड़ा

ahankar darasal vastavikta me aap nahi. ahankar aapki chhavi hai. yah samajik mukhota hai , yah vo patra hai jo aap khel rahe hain. yah mukhota prasansha par jeeta hai ,niyantran chahta hai, satta ke dum par panpata hai kyonki vah bhay me jeeta hai. | अंहकार, दरअसल वास्तविकता में आप नहीं है। अंहकार की आपकी अपनी छवि है। ये आपका सामाजिक मुखौटा है। ये वो पात्र है जो आप खेल रहे हैं। आपका सामाजिक मुखौटा प्रसंशा पर जीता है। वो नियंत्रण चाहता है, सत्ता के दम पर पनपता है क्योंकि वो भय में जीता है।

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