मौत प्रकाश को ख़त्म करना नहीं है; ये सिर्फ दीपक को बुझाना है क्योंकि सुबह हो गयी है।
By : रवीन्द्रनाथ टैगोर
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maut praash ko khtam karna nahi hai, ye sirf deepka ko bujhana hai kyonki subah ho gyi hai. | मौत प्रकाश को ख़त्म करना नहीं है; ये सिर्फ दीपक को बुझाना है क्योंकि सुबह हो गयी है।
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