नौकरशाह के लिए दुनिया महज एक हेर-फेर करने की वस्तु है।
By : कार्ल मार्क्स
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naukarshah ke liye duniya mahaz ek her pher karne ki vastu hai | नौकरशाह के लिए दुनिया महज एक हेर-फेर करने की वस्तु है।
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- पूँजी मृत श्रम है, जो पिशाच की तरह केवल जीवित श्रमिकों का खून चूस कर जिंदा रहता है, और जितना अधिक ये जिंदा रहता है उतना ही अधिक श्रमिकों को चूसता है।
- धर्म लोगों का अफीम है।
- साम्यवाद के सिद्धांत का एक वाक्य में अभिव्यक्त किया जा सकता है: सभी निजी संपत्ति को ख़त्म किया जाये।
- सामाजिक प्रगति समाज में महिलाओं को मिले स्थान से मापी जा सकती है।
- धर्म मानव मस्तिष्क जो न समझ सके उससे निपटने की नपुंसकता है।
- लोकतंत्र समाजवाद का रास्ता है
- कर्तव्यनिष्ठ पुरूष कभी निराश नहीं होता। अतः जब तक जीवित रहें और कर्तव्य करते रहें, तो इसमें पूरा आनन्द मिलेगा।
- कबीर धूल सकेलि के, पुड़ी जो बाँधी येह | दिवस चार का पेखना, अन्त खेह की खेह ||
- भेष देख मत भूलिये, बूझि लीजिये ज्ञान | बिना कसौटी होत नहीं, कंचन की पहिचान ||
- विश्वास रखकर आलस्य छोड़ दीजिये, वहम मिटा दीजिये, डर छोड़िये, फूट का त्याग कीजिये, कायरता निकाल डालिए, हिम्मत रखिये, बहादुर बन जाइए, और आत्मविश्वास रखना सीखिए। इतना कर लेंगे तो आप जो चाहेंगे, अपने आप मिलेगा।