विश्व एक महान पुस्तक है जिसमें वे लोग केवल एक ही पृष्ठ पढ पाते हैं जो कभी घर से बाहर नहीं निकलते।
By : अल्बर्ट आइन्स्टाइन
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vishv ek mahan pustak hai jisme ve log keval ek hi prashtha padh paate hain jo kabhi gharse bahar nahi nikalte. | विश्व एक महान पुस्तक है जिसमें वे लोग केवल एक ही पृष्ठ पढ पाते हैं जो कभी घर से बाहर नहीं निकलते।
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- अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि है।
- कर्तव्यनिष्ठ पुरूष कभी निराश नहीं होता। अतः जब तक जीवित रहें और कर्तव्य करते रहें, तो इसमें पूरा आनन्द मिलेगा।
- विश्वास रखकर आलस्य छोड़ दीजिये, वहम मिटा दीजिये, डर छोड़िये, फूट का त्याग कीजिये, कायरता निकाल डालिए, हिम्मत रखिये, बहादुर बन जाइए, और आत्मविश्वास रखना सीखिए। इतना कर लेंगे तो आप जो चाहेंगे, अपने आप मिलेगा।
- जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।
- अपने आप को जानिए की आप कौन है।
- ऐसा नहीं है कि मैं कोई अति प्रतिभाशाली व्यक्ति हूँ; लेकिन मैं निश्चित रूप से अधिक जिज्ञासु हूँ और किसी समस्या को सुलझाने में अधिक देर तक लगा रहता हूँ।
- गलतियां हमेशा क्षमा की जा सकती हैं, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो।
- मनुष्य चाहे तो प्रेम से सब कुछ हासिल कर सकता है।
- व्यक्ति को कभी कभी खुद की पहचान बनाने के लिए,बहुत कुछ त्याग देना पड़ता है।
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