प्रेम में कुछ भी पूछना निरर्थक नहीं है |
By : Unknown
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prem mein kuchh bhee poochhana nirarthak nahin hai . | प्रेम में कुछ भी पूछना निरर्थक नहीं है |
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- मानवता को जीवित रखने के लिए प्रेम और दया की आवश्यकता होती है विलासिता की नहीं|
- मैं चाहता हूं की वो भी मुझसे उतना ही प्रेम करे जितना मैं उससे करता हूं।
- जीवन एक खाली किताब है जिसके पन्ने हमें खुद भरना है|
- वास्तव में खुश होने पर व्यक्ति को कुछ साबित करने की आवश्यकता नहीं होती।
- जैसे रंगों से किसी तस्वीर को खूबसूरत बनाया जाता है,उसी प्रकार प्रेम हमारे जीवन में अनेक रंग भर देता है।
- हम जिस व्यक्ति से प्रेम करते हैं,उससे हम अपने जीवन की हर बात को साझा करते हैं।
- तुम मेरे और मैं तुम्हारे खयालों में हूं।
- यदि कोई आपसे घृणा करता है,तो बदले में उसे प्रेम ही दो एक दिन वो आपसे घृणा करना बंद कर देगा।
- ईश्वर की शरण में जाने के बाद दोषी भी दोष मुक्त हो जाता है।
- कबूतर शांति और प्रेम का संदेश देता है।