प्रतिशोध लेते समय मनुष्य अपने शत्रु के समान ही होता है, लेकिन उसकी उपेक्षा कर देने पर वह उससे बड़ा हो जाता है।
By : फ्रांसिस बेकन
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pratishodh lete samay vyakti apne shatru ke samaan hi hota hai, lekin uski upeksha kar dee par usse bhi bada ho jata hai. | प्रतिशोध लेते समय मनुष्य अपने शत्रु के समान ही होता है, लेकिन उसकी उपेक्षा कर देने पर वह उससे बड़ा हो जाता है।
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