किसी भी धर्म ने अपने पोषण या प्रचार के लिए दूसरों की हत्या करना अनिवार्य नहीं ठहराया है।
By : A. P. J. Abdul Kalam
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kisi bhi dharm ne apne poshan ya prachar ke liye doosro ki hatya karna anivarya nahi thahraya hai. | किसी भी धर्म ने अपने पोषण या प्रचार के लिए दूसरों की हत्या करना अनिवार्य नहीं ठहराया है।
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