डर बुराई की अपेक्षा से उत्पन्न होने वाले दर्द है।
By : अरस्तु
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dar burai ki apeksha se utpanna hone wala dard hai. | डर बुराई की अपेक्षा से उत्पन्न होने वाले दर्द है।
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- कर्तव्यनिष्ठ पुरूष कभी निराश नहीं होता। अतः जब तक जीवित रहें और कर्तव्य करते रहें, तो इसमें पूरा आनन्द मिलेगा।
- विश्वास रखकर आलस्य छोड़ दीजिये, वहम मिटा दीजिये, डर छोड़िये, फूट का त्याग कीजिये, कायरता निकाल डालिए, हिम्मत रखिये, बहादुर बन जाइए, और आत्मविश्वास रखना सीखिए। इतना कर लेंगे तो आप जो चाहेंगे, अपने आप मिलेगा।
- जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।
- गलतियां हमेशा क्षमा की जा सकती हैं, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो।
- अपने जीवन को एक नई दिशा में ले जाने की शक्ति को कभी कम मत होने दो।
- अतीत पे धयान मत दो, भविष्य के बारे में मत सोचो, अपने मन को वर्तमान क्षण पे केन्द्रित करो।
- हमारे जीवन के गहनतम अंधकार के वक़्त हमें अपना ध्यान रोशनी देखने पर केंद्रित करना चाहिए।
- सत्य के मार्ग पर चलने हेतु बुरे का त्याग अवश्यक है, चरित्र का सुधार आवश्यक है।
- ध्यान दीजिये कि सबसे कठोर पेड़ सबसे आसानी से टूट जाते हैं, जबकि, बांस या विलो हवा के साथ मुड़कर बच जाते है।
- महान लोग आईडिया पर बात करते हैं, साधारण लोग रोजमर्रा घटनाक्रम की बात करते हैं, और निम्न स्तर के लोग दूसरों के बारे में बात करते हैं।