औरत ही एक मात्र प्राणी है जिससे मैं ये जानते हुए भी कि वो मुझे चोट नहीं पहुंचाएगी, डरता हूँ।
By : अब्राहम लिंकन
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aurat hi ek matra prani jisse main ye jaante hue bhi ki mujhe chot nahi pahunchayegi, darta hu | औरत ही एक मात्र प्राणी है जिससे मैं ये जानते हुए भी कि वो मुझे चोट नहीं पहुंचाएगी, डरता हूँ।
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- वह लोग अनाथ नहीं है जो ईश्वर को अपना परमपिता मानते हैं।
- सफलता परेशानियों में भी हार ना मानने से ही मिलती है
- दोगला व्यक्ति कभी एक चरित्र पहन कर नही रह सकता।
- चरित्र वृक्ष के समान है तो प्रतिष्ठा, उसकी छाया है। हम अक्सर छाया के, बारे में सोचते हैं, जबकि असल, चीज तो वृक्ष ही है।
- मुझे अधिक संबंध इस बात से नहीं है कि आप असफ़ल हुए, बल्कि इस बात से कि आप अपनी असफलता से कितने संतुष्ट है।
- उस व्यक्ति को आलोचना करने का अधिकार है जो सहायता करने की भावना रखता है।
- जिस प्रकार मैं एक गुलाम नहीं बनना चाहता, उसी प्रकार मैं किसी गुलाम का मालिक भी नहीं बनना चाहता. यह सोच लोकतंत्र के सिद्धांत को दर्शाती है।
- स्वप्न विचारों में परिवर्तित होते हैं और विचार कार्य में परिणत होते हैं।
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