किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना।

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किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना। : Kisi moorkh vyakti ke liye kitaabe utni hi upyogi hain jitna andhe ke liye aaina - चाणक्य
किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना। : Kisi moorkh vyakti ke liye kitaabe utni hi upyogi hain jitna andhe ke liye aaina - चाणक्य

kisi moorkh vyakti ke liye kitaabe utni hi upyogi hain jitna andhe ke liye aaina | किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना।

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