शिक्षित मन की यह पहचान है की वो किसी भी विचार को स्वीकार किए बिना उसके साथ सहज रहे।

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शिक्षित मन की यह पहचान है की वो किसी भी विचार को स्वीकार किए बिना उसके साथ सहज रहे। : Shikshit man ki yah pahchan hai ki wo kisi bhi prakar ke vichar ko sveekar kiye bina uske sath sahaj rah sake - अरस्तु
शिक्षित मन की यह पहचान है की वो किसी भी विचार को स्वीकार किए बिना उसके साथ सहज रहे। : Shikshit man ki yah pahchan hai ki wo kisi bhi prakar ke vichar ko sveekar kiye bina uske sath sahaj rah sake - अरस्तु

shikshit man ki yah pahchan hai ki wo kisi bhi prakar ke vichar ko sveekar kiye bina uske sath sahaj rah sake | शिक्षित मन की यह पहचान है की वो किसी भी विचार को स्वीकार किए बिना उसके साथ सहज रहे।

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