पूँजी मृत श्रम है, जो पिशाच की तरह केवल जीवित श्रमिकों का खून चूस कर जिंदा रहता है, और जितना अधिक ये जिंदा रहता है उतना ही अधिक श्रमिकों को चूसता है।

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पूँजी मृत श्रम है, जो पिशाच की तरह केवल जीवित श्रमिकों का खून चूस कर जिंदा रहता है, और जितना अधिक ये जिंदा रहता है उतना ही अधिक श्रमिकों को चूसता है। : Poonji mrit shram hai, jo pishach ki tarah keval jeevit shramiko ka khoon choos kar zinda rahat hai aur jitna adhik ye zinda rahta hai utna hi adhik shramiko ko choosta hai - कार्ल मार्क्स
पूँजी मृत श्रम है, जो पिशाच की तरह केवल जीवित श्रमिकों का खून चूस कर जिंदा रहता है, और जितना अधिक ये जिंदा रहता है उतना ही अधिक श्रमिकों को चूसता है। : Poonji mrit shram hai, jo pishach ki tarah keval jeevit shramiko ka khoon choos kar zinda rahat hai aur jitna adhik ye zinda rahta hai utna hi adhik shramiko ko choosta hai - कार्ल मार्क्स

poonji mrit shram hai, jo pishach ki tarah keval jeevit shramiko ka khoon choos kar zinda rahat hai aur jitna adhik ye zinda rahta hai utna hi adhik shramiko ko choosta hai | पूँजी मृत श्रम है, जो पिशाच की तरह केवल जीवित श्रमिकों का खून चूस कर जिंदा रहता है, और जितना अधिक ये जिंदा रहता है उतना ही अधिक श्रमिकों को चूसता है।