जब कभी संभव हो दयालु बने, और ये हमेशा संभव है।
By : दलाई लामा
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jab kabhi sambhav ho, dayalu bane aur ye hamesha sambhav hai. | जब कभी संभव हो दयालु बने, और ये हमेशा संभव है।
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- हमारे जीवन का उद्देश्य खुश रहना है।
- खुशी अपने आप नहीं मिलती, आपके अपने कर्मों से ही आती है।
- जब तक हम अपने आप से सुलह नहीं कर लेते तब तक हम दुनिया सेभी कभी सुलह नहीं कर सकते।
- सहिष्णुता के अभ्यास में आपका शत्रु ही आपका सर्वश्रेष्ठ शिक्षक होता है।
- यदि आप दूसरों को प्रसन्न देखना चाहते हैं तो करुणा का भाव रखें. यदि आप स्वयं प्रसन्न रहना चाहते हैं तो भी करुणा का भाव रखें।
- कोई पछतावा नहीं। उसके लिए कोई समय नहीं है। पछतावा उबाऊ है।
- अक्सर दृश्य परिवर्तन से अधिक स्वयं में परिवर्तन की आवश्यकता होती है।
- यदि मैं आज भी उनहीं बातों पर विश्वास करता हूँ जो मैंने कल की थीं तो मैंने कुछ नहीं सीखा।
- सफल होने के लिए आपको अवश्य पढ़ना चाहिए।
- चिंता कभी भी अपने कल के दुःख को नहीं छीनती, बल्कि केवल आज की ताकत को छीन लेती है।