कुछ लोग सोचते हैं कि धर्म समाज के लिए आवश्यक नहीं है। मैं यह दृष्टिकोण नहीं रखता। मैं धर्म की नींव को समाज के जीवन और प्रथाओं के लिए आवश्यक मानता हूं।
By : डॉ॰ बी॰ आर॰ अम्बेडकर
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kuchh log sochate hain ki dharm samaaj ke lie aavashyak nahin hai. main yah drshtikon nahin rakhata hai main dharm kee neenv ko samaaj ke jeevan aur jeevan ke lie aavashyak maanata hoon. | कुछ लोग सोचते हैं कि धर्म समाज के लिए आवश्यक नहीं है। मैं यह दृष्टिकोण नहीं रखता। मैं धर्म की नींव को समाज के जीवन और प्रथाओं के लिए आवश्यक मानता हूं।
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