दुनिया हर किसी की ‘ जरूरत ‘ के लिए पर्याप्त है, लेकिन हर किसी के ‘ लालच ‘ के लिए नहीं।

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दुनिया हर किसी की ‘ जरूरत ‘ के लिए पर्याप्त है, लेकिन हर किसी के ‘ लालच ‘  के लिए नहीं। : Duniya har kisee kee har jaroorat ‘ke lie paryaapt hai, lekin har kisee ke ch laalach‘ ke lie nahin - महात्मा गाँधी
दुनिया हर किसी की ‘ जरूरत ‘ के लिए पर्याप्त है, लेकिन हर किसी के ‘ लालच ‘  के लिए नहीं। : Duniya har kisee kee har jaroorat ‘ke lie paryaapt hai, lekin har kisee ke ch laalach‘ ke lie nahin - महात्मा गाँधी

duniya har kisee kee har jaroorat ‘ke lie paryaapt hai, lekin har kisee ke ch laalach‘ ke lie nahin | दुनिया हर किसी की ‘ जरूरत ‘ के लिए पर्याप्त है, लेकिन हर किसी के ‘ लालच ‘ के लिए नहीं।

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